माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन

हारना तब आवश्यक हो जाता है | Harivansh Rai Bachchan | Full Poem

हारना तब आवश्यक हो जाता है,
जब लड़ाई “अपनों” से हो।
और जीतना तक आवश्यक हो जाता है,
जब लड़ाई अपने आप से हो।

Dhumil Ki Kavita | सच्ची बात

Dhumil Ki Kavita | सच्ची बात – धूमिल की कविता

बाड़ियाँ फटे हुए बाँसों पर फहरा रही हैं
और इतिहास के पन्नों पर
धर्म के लिए मरे हुए लोगों के नाम
बात सिर्फ़ इतनी है

कवि भूषण शिवाजी कविता

कवि भूषण शिवाजी कविता – इन्द्र जिमि जंभ पर (भावार्थ के साथ)

साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं 
‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के,
नदी नद मद गैबरन के रलत है ।।

हम कौन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी

हम कौन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी | मैथिलीशरण गुप्त

म कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां

भ्रम सुभद्रा कुमारी चौहान

भ्रम – सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan

देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था
देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था
देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं
हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं

मगर यामिनी बीच में ढल रही है

मगर यामिनी बीच में ढल रही है – हरिवंशराय बच्चन

न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है।
दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे,
वही आ गए ठीक ऊपर हमारे,
क्षितिज पश्चिमी है बुलाता उन्हें अब,
न रोके रुकेंगे हमारे-तुम्हारे

अब जागो जीवन के प्रभात

अब जागो जीवन के प्रभात | जयशंकर प्रसाद

वसुधा पर ओस बने बिखरे
हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे
उषा बटोरती अरुण गात !
अब जागो जीवन के प्रभात !

तुम तूफान समझ पाओगे

तुम तूफान समझ पाओगे? | हरिवंशराय बच्चन

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता ‘हरहर’–इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

राम का कार्य हुआ - पूर्ण अब इसके आगे क्या
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राम का कार्य हुआ पूर्ण – अब इसके आगे क्या | Hindi Kavita

राम अयोध्या वापस आए
दुनिया फिर दिवाली मनाएं
गांव गली हर घर मोहल्ला
राम हनुमान के ध्वज फहराये
मंदिर मंदिर उल्लास भया