विश्वकर्मा जी पर कविता
|

विश्वकर्मा जी पर कविता | भगवान विश्वकर्मा जयंती

सतयुग में स्वर्ग लोक बनाया,
त्रेता में किया लंका निर्माण
द्वापर में द्वारिका तो 
कलयुग में इंद्रप्रस्थ को दिया अंजाम 
पुरी में भी बनाया मंदिर, 
जिसमें विराजित कृष्ण, सुभद्रा और बलराम 

Hindi Diwas par Kavita
|

Hindi Diwas par Kavita – हिंदी ही हो हमारे स्वाभिमान की भाषा

संस्कृत जननी है विश्व भाषाओं की,
मानता है सारा संसार
हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का भी,
संस्कृत ही है मूल आधार
देववाणी रही संस्कृत

मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर कविता | Shree Ram Par Kavita
|

मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर कविता | Shree Ram Par Kavita

कंकर-कंकर, शंकर जहां पर,
कण-कण में है भगवान,
है राम से राम-राम तक,
श्वाश-श्वाश में बसते राम

राम मंदिर पर कविता
|

राम मंदिर पर कविता – आखिर अयोध्या हुई राम की

राम इस देश के है,
ये देश राम का है
राममय है जीवन हमारा,
यह सामाजिक परिवेश राम का है
दिन की शुरुआत राम-राम से,
जीवन का अंत राम-नाम से
जो कुछ भी हम बन पाये अब तक,
यह अनुग्रह सर्वेश राम का है

Poem on Krishna in Hindi
|

जन्मे आप तो भयावह रात थी – Poem on Krishna in Hindi

सतयुग, द्वापर, त्रेता बीता, 
चल रहा है कलयुग का काल
शुरुआत ही है कलिकाल की, 
चलना और हजारों साल
घर-घर कंश है दर-दर दुर्योधन, 
एक नही पर गिरधर गोपाल

शिक्षक पर कविता
|

शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के

शिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,
शिक्षक बढ़ाते देश का मान
भौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,
शिक्षक ही रखते महावत समान
पादरी चलाते देश कहीं तो,
कहीं मूल्ला रखते हाथ में कमान
जैसी जिसकी शिक्षा वेसा,
देश उनका उतना बनता महान

गणेश जी पर कविता
|

गणेश जी पर कविता – हे देवों के देव गणेश

मेल के भेल से निर्मित,
हाथी का पाया विशाल आकार
शून्य से शिखर पर पहुंचे,
शिव गणों के बने सरदार

पितृ पक्ष
|

पितृ पक्ष: मैं मानता हूँ पितृ पक्ष पवित्र है | हिंदी कविता

मुझे ना कर्मकांड याद है, 
न धार्मिक विधि-विधान याद है
पितरों की पूजन का समय क्या,
नियम क्या, यह सब मुझे नहीं याद है
हर समय उचित पितृ पूजन का, 
मेरी तो सब से यही फरियाद है
हमारी हर सफलता के पीछे, 

भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार
|

भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता

कोरोना की होगी निश्चित हार शुभ ही शुभ घटता प्रकृति में, शुभ प्रकृति का, स्थायी व्यवहार। शुभ के लिए ही जन्मते धर्म, शुभ के लिए ही होते अवतार। सनातन धर्म है शुभ सदा से, विज्ञान को हमने माना आधार। शुभ संस्कृति में रहा समाहित, जिससे शुद्ध रहे आचार विचार। शुभ, शुद्ध और संयम का संतुलन,…

क्या होगा कोरोना के बाद?
|

क्या होगा कोरोना के बाद? – हिंदी कविता

जब कोरोना छट जाएगा,
नया युग तब आएगा।
इतिहास लिखा जाएगा ऐसे,
युग समाप्त हुआ हो जैसे।
एक कोरोना के पहले,
एक कोरोना के बाद।
क्या होगा कोरोना के बाद?