वीर नारी पर कविता – नारी तू प्रयास कर | प्रणिता मेश्राम

चल निकल प्रथस्त पथ पर,
इस धरती का अभिमान है तू।
हृदय भी दे दुआ जिसे देखकर,
उस मां की श्रवण कुमार है तू।

बचपन कविता सुभद्रा कुमारी चौहान | मेरा नया बचपन

मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी
यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥

गुड़ी पड़वा ही हो नववर्ष हमारा | गुड़ी पड़वा व हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रकृति में इसी समय,
नवीनता का होता सृजन
नव कपोलें उगती,
पुराने पत्तों का होता क्षरण..

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