सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" February 15, 2024February 20, 2024Kavita Dunia मैं अकेला – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला मैं अकेलामैं अकेला;देखता हूँ, आ रहीमेरे दिवस की सान्ध्य बेला।—पके आधे बाल मेरेहुए निष्प्रभ गाल मेरे,चाल मेरी मन्द होती आ रही,हट रहा मेला।—जानता हूँ, नदी-झरनेजो मुझे थे पार करने,कर चुका हूँ, हँस रहा यह देख,कोई नहीं भेला—ये भी देखें : भिक्षुकसच हैमैं अकेला
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" November 6, 2023November 6, 2023Kavita Dunia सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" July 5, 2023July 28, 2023Kavita Dunia भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”| bhikshuk kavita