शिवाजी महाराज कविता हिंदी

शिवाजी महाराज कविता हिंदी – रोहित सुलतानतुरी |
Shivaji Maharaj Kavita

 19 फरवरी 1630 जन्मे महाराष्ट्र दुर्ग शिवनेरी,

धन्य हुई धरती भारत की हम करते जयकार तेरी।

जिसका नाम नहीं मरता हर दिल में बस जाता है,
ऐसा वीर पुरूष क्षत्रपति शेर शिवाजी कहलाता है।

जिसके दम पर भगवा ऊंचे गगन में लहराता है,
ऐसे वीर शिवा जी को ये रोहित शीश झुकाता है।

रण में देख जिसे दुश्मन थर थर कांप जाता है,
मूछों पर दे ताव जो वो क्षत्रिय कहलाता है।

वीर शिवाजी सिर्फ नाम नहीं वीरता की अमर कहानी है,
वह भारत का वीर क्षत्रियता की अमिट निशानी है।

आत्मबल सामर्थ्य देता ऐसा नाम तुम्हारा है,
भगवा जीवित है शान से ये उपकार तुम्हारा है।

बुलन्द हौंसले से एक साथ कई शत्रु मार गिराते थे,
दुश्मन की छाती में ऐसे भगवा गाड़ के आते थे।

मुगल सल्तनत को जिसने चूर चूर बरबाद किया,
बरस पड़े काल बन मुगलों का जीना मुहाल किया।
 
 

” तू भी है राणा का वंशज – वाहिद अली वाहिद “

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