वीर तेजाजी महाराज – हिंदी कविता
33 करोड़ देवता हमारे,
पूजन अर्चन का है विधान
हमारी संस्कृति, साहित्य और सनातन परंपरा में,
महापुरुष भी रहे देव समान
वीर तेजाजी हैं बड़े देवता,
मानता है आधा लगभग हिंदुस्तान
जाटों तक भले सीमित कर दिया हो,
पर अन्य समाजों में भी माने जाते भगवान
लोक देवता रूप में पूजे जाते,
बनाते श्रद्धालुओं के बिगड़े काम
सादा परंपरा है पूजन, अर्चन की,
ज्यादा नहीं कोई तामझाम
पहुंचने मात्र का महत्व बढ़ा है,
जहां महाराज का हो स्थान
पूर्ण श्रद्धा से नतमस्तक होना है,
अगरबत्ती भी आप लगाएं, ना लगाएं
तेजाजी जयंती की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनाएं…
खिलचीपुर से रिश्ता है तेजाजी का,
पूर्वज उनके यही करते थे वास
बाद में बसे नागौर राजस्थान में,
किन्ही कारणों से किया प्रवास
1074 में जन्मे वीर तेजाजी,
पर 1103 तक ही चल पाई श्वास
मात्र 30 वर्षों के जीवन काल में,
हजारों वर्षों का रच गये इतिहास
सिर पर पगड़ी हाथ में भाला,
सवारी में घोड़े पर था विश्वास
चौबीस गावों पर शासन था पिता का,
पर भोगी नहीं विलासिताऐं
30 वर्ष के अल्प जीवन में,
सैकड़ों आपने चमत्कार दिखाएं
तेजाजी जयंती की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनाएं…
लोक देवता रूप में पूजे जाते हैं,
जीवन भर किया समाज सुधार
डाकुओं से गायों की रक्षा करने को,
दुराचारियों का किया संघार
पूरा शरीर घायल हुआ पर,
गायें बचाई, ना मानी हार
वचन निभाया सांप से कटवा कर,
जीभ पर सहा असहय प्रहार
अर्धांगिनी भी देवी ही थी,
साथ ही गई स्वर्ग सिधार
नाग देवता भी कहलाये तब से,
पीड़ितों का उनके धामों पर होता उपचार
छुआछूत का भेद मिटाया,
समानता का निरन्तर किया प्रचार
आज भी इनके मंदिरों में पुजारी बनने का,
सिर्फ दलितों को ही है अधिकार
ताजमहल भी तेजो महल है,
मानते हैं कुछ पुरातत्वविद और साहित्यकार
जाटों के तो प्रथम पूज्य हैं,
माने जाते शंकर के अवतार
तत्काल फल दाता माने जाते,
हम भी इनको शीश नवाए
तेजाजी जयंती की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनाएं…