राखी पर कविता - आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है
राखी पर कविता – आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है

आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है

बंधन सभी प्रतीक गुलामी के, जिनमें छटपटाहट है आजादी की

स्वतंत्रता हे लक्ष्य सभी का, बंधन निशानी है बर्बादी की 

कीट, पतंगे, पेड़, पौधों से पशु, पक्षियों तक, या बात करें हम अपनी आबादी की

सभी को अस्वीकृत है, तिरस्कृत है बंधन, सभी की चाहत है स्वच्छंद वादी की 

रक्षाबंधन ही सिर्फ बंधन है ऐसा, जो सभी को स्वीकृत है, पवित्र है, पुनीत है, पावन है, जिसका वन्दन है,

आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है


उत्सव, पर्वों का देश हमारा, हर सप्ताह मनाते हम त्यौहार 

पर जब आता है त्यौहार राखी का, भावनाओं का चढ़ता ज्वार

उत्साह, उमंग का महीना है सावन, पावनता की बहती बयार

2 रुपए का रेशमी धागा, बन जाता जीवन का संस्कार 

अर्थ का कोई अर्थ नहीं, अर्थ रह जाता सिर्फ निश्चल प्यार 

अर्थ मात्र भावनाओं का संगम है, तो पवित्रता का स्पंदन है 

आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है

पौराणिक युग से ऐतिहासिक काल तक हमने देखी राखी की शक्ति 

बलि को धागा बांधा लक्ष्मी ने, भगवान की कराई सुरक्षित मुक्ति

देव दानव में युद्ध हुआ तो इंद्राणी ने, पति की शक्ति की निकाली युक्ति 

द्रौपदी का एहसान चुकाया कृष्ण ने, अहसास भी कराई कृष्ण भक्ति 

पुरु को राखी बांध सिकंदर पत्नी ने, बचाया विश्व विजेता अपना पति 

हुमायूं को करना ही पड़ा सहयोग चित्तौड़ का, जब संकट में आई कर्मावती 

यह सब पवित्र प्रमाण है राखी की शक्ति के, बाकी तो सब साधन हिंसक हैं, चारों ओर क्रंदन है

आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है

और भी महत्व है श्रावण पूर्णिमा के, शास्त्रों में जिनका ज्यादा बखान 

मंत्र जागरण, यज्ञोपवीत धारण, अथवा पवित्र नदियों पर हो दशविधि स्नान

स्वाध्याय का संदेश भी श्रावण पूर्णिमा पर, देते हमारे वेद पुराण

पढ़ने, सुनने और सुनाने का, सिर्फ हमारे ही यहां हे शास्त्रोक्त विधान 

पेड़, पौधों को राखी के प्रचलन से, जंगल बचाना हुआ आसान

पर आज की परिस्थिति में देखें तो, राखी के सच्चे हकदार हमारे सरहद के जवान 

जिनके दम पर खुली सांसे हम ले रहे, जिनके दम पर है देश महान

राखी पहुंचे हर सैनिक तक, हर देशभक्त का  है यही पैगाम 

सैनिक की दीदी सभी की दीदी है, हम सभी की बहन है 

आओ बंधे उस बंधन में जिसमें महकता चंदन है

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