Holi Poem in Hindi
काश ऐसी हो अब की होली
सरहद पर चले नहीं अब गोली
प्रेम भरी हो सबकी बोली
नफरत मिटे, मिटे अबोली
हर घर बने शुभ रंगोली
न्याय को ना भटके जनता भोली
मजबूत हो अर्थव्यवस्था देश की,
सरकार न फैलाए कहीं झोली
पर्यावरण न बिगड़े फिजा का
चाहे हम ईद मनाएं या होली
काश ऐसी हो अब की होली…
त्योहारों का देश हमारा
होली हमारा बड़ा त्यौहार
बजट बिगड़ जाता त्योहारों में
पर बिना बजट का यह त्यौहार
रंगों का मात्र महत्व है
मुफ्त पलाश की बहती बयार
लाल, नीले, पीले सस्ते रंगों से
जैसा चाहे पायें निखार
भेदभाव की नहीं गुंजाइश
समानता का होता व्यवहार
पानी, मिट्टी और कीचड़ तक से
व्यक्तित्व निकलता शानदार
भव्यता में नहीं सभ्यता
अल्हड़ता का चढ़ता खुमार
हास्य व्यंग्य से नशा उन्माद तक
प्रचलन में है हंसी ठिठोली
काश ऐसी हो अब की होली
सरहद पर चले नहीं अब गोली
हर हिंदुस्तानी का इस होली
बस एक ही अरमान हो
दुनिया भर में भारत की
एक अलग पहचान हो
हर धर्म का बराबर यहां सम्मान हो
अब ना कोई दीवार हमारे दरम्यान हो
दिन में मनायें हम होली
तो रात को रमजान हो
कड़वाहटें वे बेरंग हो जाए
जो रंगीन जीवन में हमने घोली
काश ऐसी हो अब की होली…
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