गांधी जयंती पर कविता – गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते

गांधी जयंती पर कविता

गांधी जयंती पर कविता

भारत की है जिससे पहचान,
सारी दुनिया में जिनका मान
समाधि जिनकी तीर्थ समान,
हर नेता के प्रथम भगवान
गांधी नाम का जप कर कर,
श्री गणेश होता चुनाव अभियान
गांधीवादी सिद्ध करने को,
नेता पहनते कई मुखोटे
महामानव थे वे इस धरा पर,
पर गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते

पूरे कपड़े कभी पहने नहीं,
कभी खाया नहीं पेट भर खाना
आत्म अनुशासन और संयम में,
सन्यासियों ने भी लोहा माना
हाड़ मांस का आदर्श पुतला,
आइंस्टीन ने उनको बखाना
कथनी करनी में भेद नहीं,
तपस्वियों सा जीवन बिताना
सारी अवाम थी उनके पीछे,
चाहते तो कई कई बार पीएम होते
महामानव थे वे इस धरा पर,
पर गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते

पर महान लोगों की गलतियों का,
देश भुगतता है अंजाम
चोरी चोरा वापस लेने से,
पीछे हो गया स्वतंत्रता संग्राम
भगत सिंह की फांसी पर तटस्थता,
भूली नहीं भारतीय अवाम
सुभाष कांग्रेस अध्यक्ष बने तो,
स्वीकारा नहीं आपने परिणाम
नवनिर्मित पाकिस्तान को संपन्न बनाने,
दांव पर लगा दी अपनी जान
नेहरू को पटेल पर तवज्जो देना भी,
नुकसान मानता हिंदुस्तान
आते नहीं फूल कभी भी,
जब मालिक ही खेत में कांटे बोते
महामानव थे वे इस धरा पर,
पर गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते

अहिंसा दिवस मनाती दुनिया,
संयुक्त राष्ट्र से मिला सम्मान
नोबेल ना देने पर नोबेल कमेटी ने,
माफी मांग कर किया प्रणाम
“गांधी” पिक्चर देख विदेशी,
केप निकाल कर करें सलाम
लूथर, मंडेला से आइंस्टीन तक,
प्रशंशक आपका सारा जहान
प्रशंसा बेशक मिली भारत को,
आपके आदर्श थे राम समान
पर कृष्ण चाहिए कूटनीति में,
जहां साधन नहीं, हो साध्य महान
सिद्धांतों से थोड़ा होता समझौता,
जिद में नहीं कई मौके खोते
महामानव थे वे इस धरा पर,
पर गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते

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