कब तक बोझ संभाला जाए द्वंद्व कहां तक पाला जाए दूध छीन बच्चों के मुख से क्यों नागों को पाला जाए दोनों ओर लिखा हो भारत सिक्का वही उछाला जाए तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए
इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो फिर शीशे में ढाला जाए तेरे मेरे दिल पर ताला राम करें ये ताला जाए वाहिद के घर दीप जले तो मंदिर तलक उजाला जाए
कब तक बोझ संभाला जाए युद्ध कहां तक टाला जाए तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए
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