होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज | हरिवंश राय बच्चन

होली पर प्रेरणादायक कविताहोली पर प्रेरणादायक कविता

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,

आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो!

निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,

आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!

ये सुने-

प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,

जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

ये भी देखें-

होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज

4 thoughts on “होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज | हरिवंश राय बच्चन”

  1. Pingback: Harivansh rai bachchan poems - हिंदी कविताएँ - कविता दुनिया

  2. Pingback: तुम तूफान समझ पाओगे? | हरिवंशराय बच्चन

  3. Pingback: Holi Poem in Hindi: काश ऐसी हो अब की होली

  4. Pingback: Holi Par Kavita - ऐसी हो अब की होली

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top