आओ सूरज को दिया दिखाएं, विवेकानंद पर कलम चलाएं
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Ramdhari Singh Dinkar Poems – रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं
सामने देश माता का भव्य चरण है
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है
काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे
पीछे परन्तु सीमा से नहीं हटेंगे
Krishna Ki Chetavani | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi
वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है
अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar
एक हाथ में डमरू, एक में वीणा मधुर उदार,
एक नयन में गरल, एक में संजीवन की धार।
जटाजूट में लहर पुण्य की शीतलता-सुख-कारी,
बालचंद्र दीपित त्रिपुंड पर बलिहारी! बलिहारी!
मजदूर कविता रामधारी सिंह दिनकर | Majdoor Par Kavita
मैं मजदूर हूँ मुझे
देवों की बस्ती से क्या!
अगणित बार धरा पर
मैंने स्वर्ग बनाये,
रामधारी सिंह दिनकर पर कविता: विश्वसुन्दर पदों का कवि
विश्वसुन्दर पदों का कवी था वो,
रामधारी सिंह दिनकर, नाम जो ध्यानों में बसा।
कविताओं के सागर से लिए वो जल,
उन्मुक्त और प्रगट कर गए वो मनोहारी काव्य-फल।
रह जाता कोई अर्थ नहीं कविता – रामधारी सिंह दिनकर
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।