आओ सूरज को दिया दिखाएं, विवेकानंद पर कलम चलाएं
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परिचय – रामधारी सिंह दिनकर | Dinkar Ki Kavita
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं
स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं
बँधा हूँ, स्वपन हूँ, लघु वृत हूँ मैं
नहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं
![रह जाता कोई अर्थ नहीं कविता | रामधारी सिंह दिनकर](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/03/Dinkar-Post-768x432.jpg.webp)
रह जाता कोई अर्थ नहीं कविता | रामधारी सिंह दिनकर
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।
![कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2023/10/%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%A0--768x448.webp)
कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर
“बिखरी लट, आँसू छलके, यह सुस्मित मुख क्यों दीन हुआ?
कविते! कह, क्यों सुषमाओं का विश्व आज श्री-हीन हुआ?
संध्या उतर पड़ी उपवन में? दिन-आलोक मलीन हुआ?
किस छाया में छिपी विभा? श्रृंगार किधर उड्डीन हुआ?
![रामधारी सिंह दिनकर पर कविता: विश्वसुन्दर पदों का कवि](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2023/06/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-768x448.webp)
रामधारी सिंह दिनकर पर कविता: विश्वसुन्दर पदों का कवि
विश्वसुन्दर पदों का कवी था वो,
रामधारी सिंह दिनकर, नाम जो ध्यानों में बसा।
कविताओं के सागर से लिए वो जल,
उन्मुक्त और प्रगट कर गए वो मनोहारी काव्य-फल।
![Ramdhari Singh Dinkar Ki Kavita | जियो जियो अय हिन्दुस्तान](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/03/Dinkar-Post-768x432.jpg.webp)
Ramdhari Singh Dinkar Ki Kavita | जियो जियो अय हिन्दुस्तान
जाग रहे हम वीर जवान,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान!
हम प्रभात की नई किरण हैं,
हम दिन के आलोक नवल,
![अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2023/01/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%B0.jpg.webp)
अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar
एक हाथ में डमरू, एक में वीणा मधुर उदार,
एक नयन में गरल, एक में संजीवन की धार।
जटाजूट में लहर पुण्य की शीतलता-सुख-कारी,
बालचंद्र दीपित त्रिपुंड पर बलिहारी! बलिहारी!