राम पर पंक्तियां – Ram Par Kavita
रमा है सबमें राम,
वही सलोना श्याम।
जितने अधिक रहें अच्छा है
अपने छोटे छन्द,
रमा है सबमें राम,
वही सलोना श्याम।
जितने अधिक रहें अच्छा है
अपने छोटे छन्द,
तब राम मिले थे काकभुशुंडि जी की वाणी मे।
अब भी राम मिलेगे राम का नाम सुनने से।।
ना नर में कोई राम बचा,
नारी में ना कोई सीता है !
ना धरा बचाने के खातिर,
विष कोई शंकर पीता है !!
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूं
सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में,
आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में
कंकर-कंकर, शंकर जहां पर,
कण-कण में है भगवान,
है राम से राम-राम तक,
श्वाश-श्वाश में बसते राम
राम इस देश के है,
ये देश राम का है
राममय है जीवन हमारा,
यह सामाजिक परिवेश राम का है
दिन की शुरुआत राम-राम से,
जीवन का अंत राम-नाम से
जो कुछ भी हम बन पाये अब तक,
यह अनुग्रह सर्वेश राम का है