Chhoti si Kavita: हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है

Chhoti si Kavita

Chhoti si Kavita – हर समंदर यहाँ (सविता पाटिल)

हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है
मौन-सी लहरों में कुछ रहस्य जड़ा है
आसपास घूमते चेहरों में
एक किस्सा, अपनी एक दास्तां है
सभी एक सफर है
है कुछ न कुछ जो सभी ने सहा है
हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है।
क्या कोई खास या कोई आम है
है किस्मत तो, अपनी रियासत में
कोई नवाब, तो कोई आवाम है
जीवन का संघर्ष मगर….
कम या ज्यादा, सभी का रहा है
हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है।
अपनी दुनिया के सभी जगमगाते सूरज हैं
दे रहे हैं रोशनी….
इनके चांद-तारों को इनकी गरज है
सब अपनी कहानी के नायक है
क्या हार, क्या जीत…
जिंदगी केवल एक सबक है
हो अकेला या काफ़िला
अंत यहाँ एक है
जी रहा है फिर भी हर शख्स
सीने ज्वालामुखी दबा रहा है
हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है।

असंभव से संभव तक – कविता

Chhoti si Kavita

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