Hindi Kavita: आज की दुनिया – हर तरफ भागदौड़

आज की दुनिया

आज की दुनिया

हर तरफ भागदौड़, हर तरफ अन्याय,
बची हुई है सिर्फ़ कुछ मोमबत्ती रौशनी के लिए।
आज की दुनिया जैसी है, खो गई मानवता,
दिलों में उम्मीद की किरण जगाने की जरूरत है।
हिंसा और अन्याय की महफिलों में बसती है दुनिया,
हमें इन बुराइयों से निकलकर अच्छाई को फैलाने की जरूरत है।
बुजुर्गों की सेवा को भूल गए हैं हम,
दिल से उनके आदर सम्मान की जरूरत है।
आज के जग में जगमगाती है निर्माण की रौशनी,
पर सच्ची मानवता की खोज में खोजने की जरूरत है।

ये भी देखें:
         आत्मविश्वास पर कविता
         आईना पर कविता
         जीवन का उद्देश्य कविता

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