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Ramdhari Singh Dinkar Poems – रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं
सामने देश माता का भव्य चरण है
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है
काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे
पीछे परन्तु सीमा से नहीं हटेंगे
Ramdhari Singh Dinkar Ki Kavita | जियो जियो अय हिन्दुस्तान
जाग रहे हम वीर जवान,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान!
हम प्रभात की नई किरण हैं,
हम दिन के आलोक नवल,
कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर
“बिखरी लट, आँसू छलके, यह सुस्मित मुख क्यों दीन हुआ?
कविते! कह, क्यों सुषमाओं का विश्व आज श्री-हीन हुआ?
संध्या उतर पड़ी उपवन में? दिन-आलोक मलीन हुआ?
किस छाया में छिपी विभा? श्रृंगार किधर उड्डीन हुआ?
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है – दिनकर
सदियों की ठंढी, बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
रामधारी सिंह दिनकर कविताएं
1. जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे
2. आग की भीख
3. मनुष्य और सर्प
4. एक विलुप्त कविता
Sach Hai Vipatti Jab Aati Hai | रामधारी सिंह दिनकर
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।