तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज ह्रदय में और सिन्धु में साथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलो इस अंधड में साहस तोलो कभी-कभी मिलता जीवन में तूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारयह असीम, निज सीमा जाने सागर भी तो यह पहचाने मिट्टी के पुतले मानव ने कभी ना मानी हारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारसागर की अपनी क्षमता है पर माँझी भी कब थकता है जब तक साँसों में स्पन्दन है उसका हाथ नहीं रुकता है इसके ही बल पर कर डाले सातों सागर पारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।।हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है – सविता पाटिल