मेहनतकश पर कविता | श्रमिक दिवस
विधाता ने बनाई दुनिया, पर बाकी कुछ रखे बचा कर काम
रंगहीन दुनिया में रंग भरने को, श्रमिक ही हैं दूसरे भगवान
जिन के हाथों में छाले हैं, जिनके पैरों में है बिमाइयों के निशान
उन्ही के दम पर चमकीले हैं, हमारे शहर, हमारे मकान
इन्हीं श्रमिकों के श्रम को सम्मान दिलाने, प्रयासरत है सारा जहान
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस को, अमेरिका से मिली प्रथम पहचान
8 घंटे से ज्यादा मजदूरी पर, प्रतिबंधों को दिया गया अंजाम
रशिया, चीन के साम्यवाद ने, श्रमिकों का बढ़ाया मान सम्मान
1923 से भारत ने भी, श्रमिक कल्याण के चलाए अभियान
अंबेडकर से गांधीजी तक, सबका था यहीं पेगाम
देश की तरक्की जिन पर निर्भर, आगे बढ़ें वे मजदूर, किसान
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