यमुना तट, टीले रेतीले,
घास–फूस का घर डंडे पर,
गोबर से लीपे आँगन मेँ,
तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर
अपने ही मन से कुछ बोलें – अटल बिहारी वाजपेयी
क्या खोया, क्या पाया जग में
मिलते और बिछुड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत
यद्यपि छला गया पग-पग में
आए जिस जिस की हिम्मत हो | Atal Bihari Vajpayee
हिन्दु महोदधि की छाती में
धधकी अपमानों की ज्वाला,
और आज आसेतु हिमाचल
मूर्तिमान हृदयों की माला।
आओ फिर से दिया जलाएँ – अटल बिहारी वाजपेयी
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाए
हिरोशिमा की पीड़ा – अटल बिहारी वाजपेयी
किसी रात को
मेरी नींद अचानक उचट जाती है
आँख खुल जाती है
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण
Kadam Milakar Chalna Hoga – अटल बिहारी वाजपेयी
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,



