अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar
एक हाथ में डमरू, एक में वीणा मधुर उदार, एक नयन में गरल, एक में संजीवन की धार। जटाजूट में लहर पुण्य की शीतलता-सुख-कारी, बालचंद्र दीपित त्रिपुंड पर बलिहारी !…
एक हाथ में डमरू, एक में वीणा मधुर उदार, एक नयन में गरल, एक में संजीवन की धार। जटाजूट में लहर पुण्य की शीतलता-सुख-कारी, बालचंद्र दीपित त्रिपुंड पर बलिहारी !…