सिंहासन खाली करो कि जनता आती है – दिनकर

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है – दिनकर

सदियों की ठंढी, बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

रह जाता कोई अर्थ नहीं कविता | रामधारी सिंह दिनकर

रह जाता कोई अर्थ नहीं कविता | रामधारी सिंह दिनकर

नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।

Krishna Ki Chetavani Poem in Hindi | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi
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Krishna Ki Chetavani Poem in Hindi | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi

वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है

समर शेष है – रामधारी सिंह दिनकर

समर शेष है – रामधारी सिंह दिनकर

ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो
किसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो?
किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्नि के शर से
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से?

रामधारी सिंह दिनकर की कविता संग्रह

रामधारी सिंह दिनकर की कविता संग्रह

-हमारे कृषक, -शक्ति और क्षमा, -सुन्दरता और काल, -भारत, -कृष्ण की चेतावनी, -किसको नमन करूँ मैं भारत?, -कोयल

मजदूर कविता रामधारी सिंह दिनकर | Majdoor Par Kavita

मजदूर कविता रामधारी सिंह दिनकर | Majdoor Par Kavita

मैं मजदूर हूँ मुझे
देवों की बस्ती से क्या!
अगणित बार धरा पर
मैंने स्वर्ग बनाये,

जब विघ्न सामने आते हैं – रामधारी सिंह दिनकर

जब विघ्न सामने आते हैं – रामधारी सिंह दिनकर

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar

अर्धनारीश्वर – रामधारी सिंह दिनकर – Rashtrakavi Dinkar

एक हाथ में डमरू, एक में वीणा मधुर उदार,
एक नयन में गरल, एक में संजीवन की धार।
जटाजूट में लहर पुण्य की शीतलता-सुख-कारी,
बालचंद्र दीपित त्रिपुंड पर बलिहारी! बलिहारी!

Kalam aaj unki jai bol – रामधारी सिंह दिनकर

Kalam aaj unki jai bol – रामधारी सिंह दिनकर

जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

Ramdhari Singh Dinkar Poems | रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं

Ramdhari Singh Dinkar Poems | रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं

सामने देश माता का भव्य चरण है
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है
काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे
पीछे परन्तु सीमा से नहीं हटेंगे