पाप बहुत है हरो मुरारी – कृष्ण जन्माष्टमी कविता

पाप बहुत है हरो मुरारीसतयुग, द्वापर, त्रेता बीता, चल रहा है कलयुग का कालशुरुआत ही है कलिकाल की, चलना और हजारों सालघर-घर कंश है दर-दर दुर्योधन, एक नही पर गिरधर गोपालदया, धर्म और…

शिक्षकों का करके सम्मान – शिक्षक दिवस पर कविता

शिक्षकों का करके सम्मान, बढ़ाएं अपना खुद का मानशिक्षकों का करके सम्मान, बढ़ाएं अपना खुद का मानशिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,शिक्षक बढ़ाते देश का मानभौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,शिक्षक ही…

हे देवों के देव गणेश – गणेश जी पर कविता

हे देवों के देव गणेशहे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेशहरा भरा हो जब धरा का आवरण, तब होता गणेश अवतरण वर्षा का अंतिम चरण, सुखमय होता वातावरणहरियाली…

मैं मानता हूं पित्र पक्ष पवित्र है – पितृ पक्ष श्राद्ध कविता

मैं मानता हूं पित्र पक्ष पवित्र हैमुझे ना कर्मकांड याद है, न धार्मिक विधि-विधान याद हैपितरों की पूजन का समय क्या,नियम क्या, यह सब मुझे नहीं याद हैहर समय उचित पित्र…

भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता

भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार।भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार।शुभ ही शुभ घटता प्रकृति में,शुभ प्रकृति का, स्थायी व्यवहार।शुभ के लिए ही जन्मते…

क्या होगा कोरोना के बाद? – कविता

क्या होगा कोरोना के बाद?क्या होगा कोरोना के बाद?जब कोरोना छट जाएगा,नया युग तब आएगा ।इतिहास लिखा जाएगा ऐसे,युग समाप्त हुआ हो जैसे ।एक कोरोना के पहले,एक कोरोना के बाद।क्या…