असंभव से संभव तक – सविता पाटिल

 असंभव से संभव तक - कविताअसंभव से संभव तक - सविता पाटिल कश्तियां कहाँ मना करती हैतूफानों से टकराने कोवो मांझी ही डर जाता है अपने आप को आजमाने कोउम्र भला हमे…

ये देश बनता है – देशभक्ति पर अद्भुत कविता – सविता पाटिल

 कितने सौभाग्यशाली है हम जो हमें इतना भौगोलिक दृष्टि से संपन्न देश मिला है। पहाड़, नदियाँ, मैदान, खेत-खलिहान, पठार और रेगिस्तान भी। विविध संस्कृतियां, रंग-बिरंगे त्यौहार और इतनी सारी ऋतुएं,…

हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है – सविता पाटिल

हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा हैहर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है - सविता पाटिलहर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा हैमौन-सी लहरों में कुछ रहस्य जड़ा हैआसपास घूमते चेहरों…

बदलाव करो निरंतर करो – सविता पाटिल

 बदलाव करो निरंतर करो - कविताबदलाव करो निरंतर करो - सविता पाटिलबदलाव करो, निरंतर करोपर उसमें कुछ बेहतर करोबदलाव हो जो जीवन सरल करेजड़ता को विरल करेबदलाव अज्ञानता से ज्ञान…

कभी न करना अन्न दाता का अपमान – किसान पर कविता – सविता पाटिल

 कभी न करना अन्न दाता का अपमानकभी न करना अन्न दाता का अपमान - किसान पर कविता - सविता पाटिलअन्न के कण-कण में होते है भगवानकभी न करना अन्न दाता का…