ब्राह्मण – मैथिलीशरण गुप्त | हे ब्राह्मणों फिर पूर्वजों के तुल्य तुम
ब्राह्मण – मैथिलीशरण गुप्त
हे ब्राह्मणो! फिर पूर्वजों के तुल्य तुम ज्ञानी बनो,
भूलो न अनुपम आत्म-गौरव, धर्म के ध्यानी बनो।
कर दो चकित फिर विश्व को अपने पवित्र प्रकाश से,
मिट जायँ फिर सब तम तुम्हारे देश के आकाश से॥
प्रत्यक्ष था ब्रह्मत्व तुममें यदि उसे खोते नहीं–
तो आज यों सर्वत्र तुम लाञ्छित कभी होते नहीं।
यह द्वार-द्वार न भीख तुमको माँगनी पड़ती कभी,
भू पर तुम्हें सुर जान कर थे मानते मानव सभी॥