इंकार कर दिया - रामावतार त्यागी की कविता

इंकार कर दिया – रामावतार त्यागी की कविता

मेरे पीछे इसीलिये तो
धोकर हाथ पड़ी है दुनिया
मैंने किसी नुमाइश घर में
सजने से इंकार कर दिया।

इंकार कर दिया - रामावतार त्यागी की कविता

एक भी आँसू न कर बेकार – रामावतार त्यागी

एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए!
पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है
यह कहावत है, अमरवाणी नहीं है