मेरे पीछे इसीलिये तो
धोकर हाथ पड़ी है दुनिया
मैंने किसी नुमाइश घर में
सजने से इंकार कर दिया।
Ram Avtar Tyagi Poems Hindi
आँचल बुनते रह जाओगे,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
आदमी का आकाश,
ज़िंदगी एक रस, तन बचाने चले थे
एक भी आँसू न कर बेकार – रामावतार त्यागी
एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए!
पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है
यह कहावत है, अमरवाणी नहीं है

