Tag: सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

bhikshuk kavita

भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”| bhikshuk kavita

भिक्षुक वह आता-- दो टूक कलेजे को करता, पछताता पथ पर आता। पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को