Maharana Pratap Poem in Hindi | प्रताप की प्रतिज्ञा – श्याम नारायण पांडेय
|

Maharana Pratap Poem in Hindi | प्रताप की प्रतिज्ञा – श्याम नारायण पांडेय

गिरि अरावली के तरु के थे
पत्ते–पत्ते निष्कंप अचल
बन बेलि–लता–लतिकाएं भी
सहसा कुछ सुनने को निश्चल।

महाराणा प्रताप कविता – बस नाम ही काफी है
|

महाराणा प्रताप कविता – बस नाम ही काफी है

ना कोई संज्ञा, ना सर्वनाम,
ना विशेषण का ही कोई काम
बस आन, बान और शान बोल दें,
या पुकारें राजस्थान

तू भी है राणा का वंशज | Tu bhi hai rana ka vanshaj | वाहिद अली वाहिद

तू भी है राणा का वंशज | Tu bhi hai rana ka vanshaj | वाहिद अली वाहिद

कब तक बोझ संभाला जाए
द्वंद्व कहां तक पाला जाए
दूध छीन बच्चों के मुख से
क्यों नागों को पाला जाए