Harivansh rai bachchan ki rachnaye – Patriotic kavitayen in hindi
|

Harivansh rai bachchan ki rachnaye – Patriotic kavitayen in hindi

सुमति स्वदेश छोड़कर चली गई,
ब्रिटेन-कूटनीति से छलि गई,
अमीत, मीत; मीत, शत्रु-सा लगा,
अखंड देश खंड-खंड हो गया।

Harivansh Rai Bachchan Poems – हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ

Harivansh Rai Bachchan Poems – हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो

माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन | Mother Poem in Hindi
|

माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन | Mother Poem in Hindi

आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया,
माँ की ऊँगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया।
उंगलियाँ पकड़कर माँ ने मेरी मुझे चलना सिखाया है,
खुद गीले में सोकर माँ ने मुझे सूखे बिस्तर पे सुलाया है।

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है – हरिवंशराय बच्चन

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है – हरिवंशराय बच्चन

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारास्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना थाढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों कोएक अपनी शांति…

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर कविता – हरिवंश राय बच्चन

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर कविता – हरिवंश राय बच्चन

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर, 
क्यूंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।

होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज | हरिवंश राय बच्चन
|

होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज | हरिवंश राय बच्चन

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,