सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

यह सच है-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी के हित का अभिमान वह,
जनता का जन-ताका ज्ञान वह,
सच्चा कल्याण वह अथच है–

भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”| bhikshuk kavita

भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”| bhikshuk kavita

भिक्षुक
वह आता–
दो टूक कलेजे को करता, पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को