सुरंग में फंसे मजदूरों की व्यथा – मजदूर पर कविता
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सुरंग में फंसे मजदूरों की व्यथा – मजदूर पर कविता

अब तो निकालिए सुरंग से मुझको,
मुझे अपने घर जाना है
किया था जो वादा परिवार से,
वह वादा निभाना है
निभाना है फर्ज बेटे का,
कर्ज पिता का मुझे चुकाना है