Harivansh rai bachchan ki rachnaye – Patriotic kavitayen in hindi

सुमति स्वदेश छोड़कर चली गई,
ब्रिटेन-कूटनीति से छलि गई,
अमीत, मीत; मीत, शत्रु-सा लगा,
अखंड देश खंड-खंड हो गया।

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है – हरिवंशराय बच्चन

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारास्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना थाढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों कोएक अपनी शांति […]

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर कविता – हरिवंश राय बच्चन

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर,
क्यूंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका

होली पर प्रेरणादायक कविता | होली है तो आज | हरिवंश राय बच्चन

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,

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