Maharana Pratap Poem in Hindi
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Maharana Pratap Poem in Hindi | प्रताप की प्रतिज्ञा – श्याम नारायण पांडेय

गिरि अरावली के तरु के थे
पत्ते–पत्ते निष्कंप अचल
बन बेलि–लता–लतिकाएं भी
सहसा कुछ सुनने को निश्चल।