चुनाव कविता – आखिर संपन्न हुए चुनाव | व्यंग्य
|

चुनाव कविता – आखिर संपन्न हुए चुनाव | व्यंग्य

लोकतंत्र का महापर्व,
दुनिया जिस पर करती गर्व
जनता चाहती सुखद बदलाव
आखिर संपन्न हुए चुनाव…
5 साल का जनादेश,
जीवन भर फिर ऐश ही ऐश
नेता ओढ़ें संतों का वेष,
यद्यपि संत भी अब कहां शेष