Mahadevi Verma Poems In Hindi | Mahadevi Verma Ki Rachna
मैं अनंत पथ में लिखती, मिटने का अधिकार,
कोयल, कहाँ रहेगी चिड़िया, जो तुम आ जाते हो एक बार, जब यह दीप थके तब आना
मैं अनंत पथ में लिखती, मिटने का अधिकार,
कोयल, कहाँ रहेगी चिड़िया, जो तुम आ जाते हो एक बार, जब यह दीप थके तब आना
चुभते ही तेरा अरुण बान!
बहते कन कन से फूट फूट,
मधु के निर्झर से सजल गान।
इन कनक रश्मियों में अथाह,
लेता हिलोर तम-सिन्धु जाग;