दशहरा पर कविता
|

दशहरा पर कविता – इतने राम कहां से लाऐं

हर वर्ष दहन होता रावण,
पर अगले साल और बड़ा होता है
पहले शहर में एक जलता था,
अब हर मोहल्ले में खड़ा होता है
कौन जलाए, किस के फोटो आए,
यह प्रश्न बड़ा होता है
जिसमें रत्ती भर भी नहीं अंश राम का,
सिर्फ खोल चढ़ा होता है