बचपन कविता सुभद्रा कुमारी चौहान | मेरा नया बचपन

बचपन कविता सुभद्रा कुमारी चौहान | मेरा नया बचपन

मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी
यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥

भ्रम – सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan

भ्रम – सुभद्रा कुमारी चौहान | Subhadra Kumari Chauhan

देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था
देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था
देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं
हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं