Dhumil Ki Kavita | सच्ची बात – धूमिल की कविता

Dhumil Ki Kavita | सच्ची बात – धूमिल की कविता

बाड़ियाँ फटे हुए बाँसों पर फहरा रही हैं
और इतिहास के पन्नों पर
धर्म के लिए मरे हुए लोगों के नाम
बात सिर्फ़ इतनी है