वैश्य – मैथिलीशरण गुप्त | वैश्यो! सुना, व्यापार सारा मिट चुका वैश्यो! सुना, व्यापार सारा मिट चुका है देश का, सब धन विदेशी हर रहे हैं, पार है क्या क्लेश का? अब भी न यदि कर्तव्य का पालन करोगे तुम यहाँ- Aug 9, 2023Aug 9, 20231 Comment on वैश्य – मैथिलीशरण गुप्त | वैश्यो! सुना, व्यापार सारा मिट चुकामैथिलीशरण गुप्तवैश्य