गोपालप्रसाद व्याससुभाष चंद्र बोस March 15, 2024April 3, 2024Kavita Dunia सुभाष चंद्र बोस पर कविता | Netaji Subhash Chandra Bose Poem in Hindiवह महाशक्ति सीमित होकर,पलड़े में आन विराजी थी।दूसरी ओर सोना-चांदी,रत्नों की लगती बाजी थी॥