आ रही रवि की सवारी – हरिवंश राय बच्चन

आ रही रवि की सवारी – हरिवंश राय बच्चन

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।

अब मत मेरा निर्माण करो – हरिवंशराय बच्चन

अब मत मेरा निर्माण करो – हरिवंशराय बच्चन

तुमने न बना मुझको पाया,
युग-युग बीते, मैं न घबराया;
भूलो मेरी विह्वलता को,
निज लज्जा का तो ध्यान करो!

इस पार – उस पार | हरिवंश राय बच्चन
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इस पार – उस पार | हरिवंश राय बच्चन

इस पार, प्रिये, मधु है तुम हो,
उस पार न जाने क्या होगा
यह चाँद उदित होकर नभ में
कुछ ताप मिटाता जीवन का

सब कुछ बिकता है | हरिवंश राय बच्चन | Sab Kuch Bikta Hai

सब कुछ बिकता है | हरिवंश राय बच्चन | Sab Kuch Bikta Hai

यहाँ सब कुछ बिकत है,
दोस्तों रहना जरा संभाल के!
बेचने वाले हवा भी बेच देते है,
गुब्बारों में डाल के!!

हारना तब आवश्यक हो जाता है | Harivansh Rai Bachchan | Full Poem

हारना तब आवश्यक हो जाता है | Harivansh Rai Bachchan | Full Poem

हारना तब आवश्यक हो जाता है,
जब लड़ाई “अपनों” से हो।
और जीतना तक आवश्यक हो जाता है,
जब लड़ाई अपने आप से हो।

मगर यामिनी बीच में ढल रही है – हरिवंशराय बच्चन

मगर यामिनी बीच में ढल रही है – हरिवंशराय बच्चन

न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है।
दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे,
वही आ गए ठीक ऊपर हमारे,
क्षितिज पश्चिमी है बुलाता उन्हें अब,
न रोके रुकेंगे हमारे-तुम्हारे

तुम तूफान समझ पाओगे? | हरिवंशराय बच्चन

तुम तूफान समझ पाओगे? | हरिवंशराय बच्चन

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता ‘हरहर’–इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

सुंदर कविता हिंदी में | ऐसे मैं मन बहलाता हूँ

सुंदर कविता हिंदी में | ऐसे मैं मन बहलाता हूँ

सोचा करता बैठ अकेले,
गत जीवन के सुख-दुख झेले,
दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सहलाता हूँ!
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!

Motivational Poem in Hindi by Harivansh Rai Bachchan | Harivansh rai bachchan poems

Motivational Poem in Hindi by Harivansh Rai Bachchan | Harivansh rai bachchan poems

1. दीप अभी जलने दे, भाई!
2. मुझ से चाँद कहा करता है
3. विश्व सारा सो रहा है!
4. तूने क्या सपना देखा है?