
खीचों राम-राज्य लाने को, भू-मंडल पर त्रेता – माखनलाल चतुर्वेदी
गिनो न मेरी श्वास,
छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान?
भूलो ऐ इतिहास,
खरीदे हुए विश्व-ईमान !!
अरि-मुड़ों का दान,
रक्त-तर्पण भर का अभिमान,
लड़ने तक महमान..... खीचों राम-राज्य लाने को
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