खग उड़ते रहना जीवन भर - गोपाल दास नीरज की कविता

खग उड़ते रहना जीवन भर – गोपाल दास नीरज की कविता

खग! उड़ते रहना जीवन भर!
भूल गया है तू अपना पथ‚
और नहीं पंखों में भी गति‚
किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे…

खग उड़ते रहना जीवन भर - गोपाल दास नीरज की कविता

मैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूँ | गोपालदास नीरज

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूँ..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते..