सुभाष चंद्र बोस पर कविता | Netaji Subhash Chandra Bose Poem in Hindi
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सुभाष चंद्र बोस पर कविता | Netaji Subhash Chandra Bose Poem in Hindi

वह महाशक्ति सीमित होकर,
पलड़े में आन विराजी थी।
दूसरी ओर सोना-चांदी,
रत्नों की लगती बाजी थी॥