Krishna Ki Chetavani | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi
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Krishna Ki Chetavani | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi

वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है