है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है – हरिवंशराय बच्चन
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था स्वप्न ने अपने करों…
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था स्वप्न ने अपने करों…
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर - हरिवंश राय बच्चनबैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर, क्यूंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका, चुपचाप से बहना और अपनी…