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हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए – दुष्यन्त कुमार

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए - दुष्यन्त कुमारहो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिएहो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिएआज…

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