हे वीर पुरुष

Hindi Kavita

हे वीर पुरुष, पुरुषार्थ करो, तुम अपना मान बढ़ाओ न।

अपनी इच्छा शक्ति के बल पर, उनको जवाब दे आओ न। 

वे वीर पुरुष होते हीं नहीं, जो दूजों को तड़पाते हैं। 

वे वीर पुरुष होते सच्चे, जो दूजों का मान बढ़ाते हैं। 

इतनी जल्दी थक जाओ नहीं, चलना तुमको अभी कोसों है। 

पांडव तो अब भी पाँच हीं हैं, पर कौरव अब भी सौ-सौ हैं।