लगा कर आग दौलत में हमने ये शौक पालें हैं, कोई पूछे तो कह देना हम बागेश्वर धाम वाले हैं
मैं जब भी तेरे दर पर बिखरा हुआ जाता हूँ, ऐसी करामात है तेरी रघुवर वहां से निखर कर आता हूँ
सितारों को आँखों में महफूज रखना क्योंकि बहुत देर तक रात ही रात होगी मुसाफ़िर हो तुम भी मुसाफ़िर है हम भी हनुमान जी ने चाहा तो किसी मौड पे फिर मुलाकात होगी
प्रेम अकारण होता है, प्रेम मे अगर कारण हो तो टिकता नहीं
सच तो यह है कि मुझे जिन्दा ना दुआ ने रखा ना दवा ने रखा हमको तो जिन्दा…. बागेश्वर धाम की हवा ने रखा
उन्होंने नस देखी हमारी, हमें बीमार बता दिया हमने रोग पूछा, तो वृंदावन से प्यार बता दिया मैं कर्जदार रहूँगा उम्र भर, उस वेद का सदा जिसने दवा के भरोसे, राधा नाम से प्यार बता दिया
जिंदगी ऐसी जियो कि कभी मौत भी सामने आए तो वो भी शर्माए कि मैं किस बादशाह को लेने आई हूँ
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो बदनाम करने का बहाना ढूंढता है जमाना मैं खुद बदनाम हो जाऊंगा पहले मेरा नाम होने दो
मोहोब्बत इंसान से हो तो ज़िन्दगी बन जाती है अगर मोहोब्बत माँ-बाप से हो तो प्रभु की इबादत बन जाती है
अहम् की अकड़ ज्यादा चल नहीं सकती मौत की घडी कभी टल नहीं सकती लूट कर दौलत भले ही जमा कर लो पर पाप की कमाई कभी फल नहीं सकती