बचपन, वो अनमोल दौलत है,
खेल-खिलौने की वो मिठास है।
माँ के आँचल में छुपा जादू है,
खुशियों का पुलिंदा, वो अद्भुत दिन है।
उड़ती पतंग, खुशी की उड़ान,
दोस्तों के संग वो बाघबानी है।
छोटी-छोटी चोंटें, मासूम मुस्कान, बचपन की वो मिठास, नई जीवनी है।
गलियों में दौड़ना, पहाड़ों पर चढ़ना, हर खेल में आनंद, वो आपूर्ति है।
बचपन की वो लड़ी, अनंत खुशियों का संग्रह, यादें जैसी ख़ास, वो समृद्धि है।
मिठासी दांतों से छोटे खाने,
छोटे पैरों से चले याराने।
दिल की सुनहरी दास्तान,
वो बचपन की कहानी, सुनाए जो हर बार,
वो आनंद का व्यापार है।
बचपन की वो खुशियाँ, वो गम, बचपन की वो मस्ती, वो नज़रिया।
जब आँखें थीं सदा खुली,
सपनों की उड़ान, वो असीम यात्रा है।
बचपन, वो दौलती धरती का हिरा, अनमोल वो समय, वो सुंदर परिंदा।
चलो फिर से जी लें उसे, दिल से अपनाएं, बचपन को फिर से, हम आजमाएं।
दोस्ती पर कविता
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